पौराणिक कथा के अनुसार,हिरण्यकश्यप नामक राक्षस का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे।
हिरण्यकश्यप अपने बेटे की हत्या करने का प्रयास करता है, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच जाता है।
हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका की गोदी में अपने बेटे प्रह्लाद को बैठा कर एक अग्निकुंड में प्रवेश करती है,
लेकिन भगवान की कृपा से होलिका की आग में प्रह्लाद सलामत रहता है। इस प्रकार, होली में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।
होली के इतिहास से जुड़ी कई अन्य कथाएं भी हैं।
एक कथा भगवान कृष्ण और राधा के रंग खेलने की है।
एक अन्य कथा कामदेव और रति के प्रेम का प्रतीक है।
कुछ लोग इसे वसंत ऋतु के आगमन का उत्सव भी मानते हैं।
पूर्णिमा तिथि 24 मार्च 2024 को सुबह 9:54 बजे से शुरू होगी और 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे तक समाप्त होगी।
होलिका दहन से पहले 8 दिन का होलाष्टक लगता है। 2024 में होलाष्टक 16 मार्च से शुरू होगा और 23 मार्च को समाप्त होगा।
होली के बाद पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। 2024 में रंग पंचमी 29 मार्च को होगी।
होलिका दहन रात में होता है, इसलिए 24 मार्च को होलिका दहन किया जायेगा और 25 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी।
होली धुलेंडी के उत्सव में शामिल होने के लिए कुछ बातो का ध्यान अवश्य रखे :
केवल प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
केमिकल रंगों से बचें, क्योंकि वे त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पानी बचाने के लिए कम पानी का उपयोग करें।
यदि आप पानी का छिड़काव कर रहे हैं, तो गंदे पानी का उपयोग न करें।
होली धुलेंडी के उत्सव में शामिल होने के लिए कुछ बातो का ध्यान अवश्य रखे :
केवल प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
केमिकल रंगों से बचें, क्योंकि वे त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पानी बचाने के लिए कम पानी का उपयोग करें।
यदि आप पानी का छिड़काव कर रहे हैं, तो गंदे पानी का उपयोग न करें।
होली धुलेंडी के उत्सव में शामिल होने के लिए कुछ बातो का ध्यान अवश्य रखे :
अपनी आंखों को बचाने के लिए चश्मा पहनें।
आपको यदि त्वचा की एलर्जी है, तो अपनी त्वचा को ढकने वाले कपड़े पहनें।
ऐसी जगहों पर रंग खेलें जहां पर्याप्त जगह हो और कोई खतरा न हो।
सड़कों और गलियों से दूर रहें।